ताज़ा ग़ज़ल आपके लिए
फूल खिलने कि मौसम ख़बर दे गया
रूह को ताज़गी का सफ़र दे गया
डर गया है वो क्या मेरी परवाज़ से
हौसले छीन कर बालो - पर दे गया
जब दिखाए उसे उसके चेहरे के दाग
आईना वो मुझे तोड़कर दे गया
उसने अपनी अना पे न आंच आने दी
बात ही बात में अपना सर दे गया
मुश्किलें जिंदगानी कि आसाँ हुईं
वक़्त जीने का ऐसा हुनर दे गया
किसने बख्शी है फूलों को खुशबू ''ज़हीन''?
कौन है जो शजर को समर दे गया ?
Friday, July 23, 2010
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वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteडर गया है वो क्या मेरी परवाज़ से
ReplyDeleteहौसले छीन कर बालो - पर दे गया
बहुत खूबसूरत शैर है। खयालात की ताज़गी है।
जब दिखाए उसे उसके चेहरे के दाग
ReplyDeleteआईना वो मुझे तोड़कर दे गया
waah! kya khuub kaha hai.
bahut badhiya lagi yeh tazaa ghazal.